ADARSH PANDEY

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लेखनी कहानी -14-May-2022

लेखक आदर्श पाण्डेय की डायरी की शायरी 🙏🙏


गर अश्क़ किनारा होगा है तो इश्क संदर है।

ये दुनिया अब समंदरो मे खेला करती है।।

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हर कोई एक जाम पीकर शराबी नही होता

गर कोई कहता है तो वो मेरे कपड़ो दाग होगा 

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और जमाने से कह दो की अब वो रावण नही हूँ मैं 
की भाई को शत्रु के घर जाने दू , मै वो रावण नहीं 
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कभी कभी हवा मे भी उड़ा करते है हम

अब पैसा नही तो पतंग उड़ाया करते है हम

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तेरा याद अब भी बोतलो के बाद करता हूँ

क्यों की वो नशा इस नशे के बाद करता हूँ

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उसके माथे पर नाम हमारा हुआ करता था।

लेकिन उसके विस्तर पर कोई आवारा रहता था।।

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अपनी जिंदगी को ज़िद से कोषों दूर करता रहा 

वरना ये ज़िद  संमदर को भी नहर बना रहा था

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एक आशमा है जो बादल बनाता है और फिर बारिश कराता है और जमी हरा भरा कर जाता है।

एक मुहब्बत  है जो इश्क करता है और फिर दिल लगता है और दिल को बंजर बना देता है.

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कुछ प्यास जिंदगी भर अधूरे रह जाते है।

उन्हे अगर पुरा समंदर देदो , तो भी प्यासे रह जाते है।

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वो एक बेज़ुबान लाख जुबानों से अच्छा रहा उस सफऱ में

सब अपने होठो के शब्दों से ज़हर उगलने लगे और बेज़ुबान शहद बना रहा

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15 Comments

ADARSH PANDEY

16-May-2022 09:24 AM

आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद

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Reyaan

16-May-2022 12:26 AM

Very nice 👍🏼

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Neha syed

14-May-2022 09:34 PM

👏👏

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